भारत की पवित्र नदियों में से एक ताप्ती नदी (Tapti River) न केवल जल का स्रोत है बल्कि इसे एक देवी का स्वरूप माना गया है। इस नदी की अधिष्ठात्री देवी को “ताप्ती माता” कहा जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार ताप्ती माता सूर्य देव की पुत्री और छाया देवी की संतान हैं। ताप्ती नदी मध्य भारत की प्रमुख नदियों में गिनी जाती है, जो महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात से होकर बहती है। लेकिन इसके पीछे छिपी है एक गहरी पौराणिक कथा, धार्मिक महत्व और लोक आस्था की समृद्ध परंपरा।
आइए, विस्तार से जानते हैं ताप्ती माता के बारे में — उनके जन्म से लेकर मंदिर, पूजा विधि, कथा, महत्व और उनके चमत्कारों तक की संपूर्ण जानकारी।
ताप्ती माता की पूरी जानकारी (Tapti Mata Complete Information in Hindi)

ताप्ती माता का जन्म और पौराणिक कथा
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, ताप्ती माता सूर्य देव (Surya Dev) और उनकी पत्नी छाया देवी (Chhaya Devi) की पुत्री हैं। उनकी दो बहनें और एक भाई बताए जाते हैं —
- यमराज (मृत्यु के देवता)
- शनि देव (न्याय के देवता)
- यमुना नदी (पवित्र नदी देवी)
इस प्रकार ताप्ती माता का जन्म एक दैवीय शक्ति के रूप में हुआ था। कथा के अनुसार, जब सूर्य देव के तेज से पृथ्वी पर अत्यधिक गर्मी फैल गई, तब उन्होंने अपने ताप को संतुलित करने के लिए एक कन्या की उत्पत्ति की। वही कन्या ताप्ती कहलाईं। ‘ताप’ शब्द से ही ‘ताप्ती’ नाम बना है, जिसका अर्थ है — “जो सूर्य के ताप को शांत करे”।
इसलिए ताप्ती माता को शीतलता और शुद्धता की देवी कहा जाता है। कहा जाता है कि उनके आशीर्वाद से जीवन में संतुलन, शांति और समृद्धि आती है।
ताप्ती नदी का भौगोलिक महत्व
ताप्ती नदी मध्य भारत की प्रमुख नदियों में से एक है। यह सात पवित्र नदियों में गिनी जाती है — गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और ताप्ती।
- उद्गम स्थल: सतपुड़ा पर्वत की मलयगांव पहाड़ियों से (मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के प्राचीन मंदिर मुलताई पास है)।
- लंबाई: लगभग 724 किलोमीटर।
- प्रवाह दिशा: यह पश्चिम दिशा में बहती है और अरब सागर में जाकर मिलती है, जो भारत की कुछ नदियों में दुर्लभ है।
- राज्य: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात।
ताप्ती नदी न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि कृषि, जलस्रोत और पारिस्थितिकीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र के करोड़ों लोगों की जीवनरेखा है।
ताप्ती माता का धार्मिक महत्व
ताप्ती माता को जल की देवी, शुद्धता की प्रतीक और सुख-शांति देने वाली शक्ति के रूप में पूजा जाता है। लोकमान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से ताप्ती माता की पूजा करता है, उसे जीवन में कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
ताप्ती माता की उपासना के लाभ:
- पापों का नाश होता है।
- पारिवारिक कलह दूर होती है।
- सूर्य से संबंधित दोष (जैसे ग्रहण, कुंडली में सूर्य की स्थिति) शांत होते हैं।
- संतान प्राप्ति की इच्छा पूर्ण होती है।
- मानसिक शांति और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
ताप्ती माता की पूजा विधि
ताप्ती माता की पूजा विशेष रूप से मंगलवार और रविवार के दिन की जाती है, क्योंकि ये दोनों दिन सूर्य देव को समर्पित माने जाते हैं।
पूजा विधि:
- स्नान के बाद ताप्ती माता के चित्र या प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं।
- पीले फूल, लाल चंदन, गुड़ और गेहूं का प्रसाद चढ़ाएं।
- ताप्ती माता के नाम से नदी या किसी जलस्रोत में जल अर्पित करें।
- “ॐ सूर्यपुत्र्यै ताप्त्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- माता की आरती करें और अंत में प्रसाद ग्रहण करें।
ताप्ती माता का मंत्र:
ॐ ह्रीं ताप्त्यै नमः।
यह मंत्र शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
ताप्ती माता के प्रमुख मंदिर
भारत के कई हिस्सों में ताप्ती माता के मंदिर स्थित हैं, जिनमें कुछ बहुत प्रसिद्ध हैं:

1. ताप्ती उद्गम तीर्थ, बैतूल के मुलताई (मध्य प्रदेश)
यहाँ से ताप्ती नदी का जन्म होता है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। बैतूल – मुलताई आसपास के गाँवों में लोग ताप्ती माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं।
2. ताप्ती माता मंदिर, सुरत (गुजरात)
यह सबसे प्रसिद्ध ताप्ती माता का मंदिर माना जाता है। माना जाता है कि यहाँ दर्शन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर में हर साल विशाल ताप्ती महोत्सव आयोजित होता है।
3. ताप्ती घाट, बुरहानपुर (मध्य प्रदेश)
यहाँ ताप्ती नदी के किनारे बने घाटों पर श्रद्धालु स्नान कर पापों से मुक्ति की कामना करते हैं।
ताप्ती माता की आरती
जय जय ताप्ती माता जय जय सूर्यकुमारी।
तेरा तेज अनूपम माता, सब जग तुझको प्यारी॥सूर्य की कन्या रूप तुम्हारा, लाज रखो अब न्यारी।
जल की देवी रूप तुम्हारा, भक्त करे सेवा भारी॥सिंहासन पर विराजे माता, पुष्पों की माल धारी।
भक्त जनों के दुःख मिटाती, मंगल करती सारी॥जय जय ताप्ती माता जय जय सूर्यकुमारी।
यह आरती ताप्ती माता की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।
ताप्ती माता से जुड़ी पौराणिक कथाएँ
1. ताप्ती और सूर्य के ताप की कथा
कहा जाता है कि सूर्य देव के तेज से समस्त सृष्टि जलने लगी। तब देवताओं ने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की। ब्रह्मा जी ने सूर्य से कहा कि अपने ताप को शांत करने के लिए एक दिव्य शक्ति उत्पन्न करें। सूर्य के एक अंश से ताप्ती देवी का जन्म हुआ, जिन्होंने अपने शीतल जल से संसार को शांति दी।
2. ताप्ती और रथ की कथा
कुछ पुराणों में उल्लेख है कि ताप्ती माता के विवाह का संबंध समीरण देव (वायु के देव) से हुआ था। इस कथा का अर्थ है कि सूर्य की किरणें (तप्ती) और हवा (समीरण) मिलकर जीवन के लिए आवश्यक ऊर्जा और जलवायु बनाते हैं।
ताप्ती माता और ज्योतिष संबंध
ज्योतिष के अनुसार, ताप्ती माता का संबंध सूर्य ग्रह से है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है या ‘पितृ दोष’ होता है, उन्हें ताप्ती माता की पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि उनके नाम का जप करने से सूर्य से जुड़े दोष समाप्त हो जाते हैं और आत्मविश्वास, प्रतिष्ठा तथा स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
ताप्ती माता के चमत्कार
लोककथाओं और श्रद्धालु अनुभवों के अनुसार, ताप्ती माता Tapti Mata की कृपा से:
- असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
- व्यापार में उन्नति होती है।
- विवाह और संतान से संबंधित बाधाएँ दूर होती हैं।
- नदी में स्नान करने से पापों का क्षय होता है।
सूरत और बैतूल के मंदिरों में अनेक भक्तों ने माता के चमत्कारों का अनुभव किया है।
ताप्ती माता और पर्यावरण संरक्षण
ताप्ती नदी के प्रति श्रद्धा केवल धार्मिक नहीं बल्कि पर्यावरणीय चेतना से भी जुड़ी है। प्राचीन भारतीय संस्कृति में नदियों को माँ का स्वरूप मानकर उनकी रक्षा की जाती थी। ताप्ती माता की पूजा का अर्थ है — जल, जीवन और प्रकृति का सम्मान।
आज जब नदियाँ प्रदूषण की चपेट में हैं, ताप्ती माता की उपासना हमें यह सिखाती है कि जल का संरक्षण ही जीवन की रक्षा है।
ताप्ती अमावस्या और ताप्ती स्नान
हर वर्ष ताप्ती नदी के तट पर ताप्ती अमावस्या का विशेष पर्व मनाया जाता है। इस दिन हजारों श्रद्धालु ताप्ती नदी में स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ताप्ती माता का उल्लेख शास्त्रों में
ताप्ती नदी का वर्णन कई ग्रंथों में मिलता है —
- स्कंद पुराण
- महाभारत
- वायु पुराण
- भागवत पुराण
इन ग्रंथों में ताप्ती को “सूर्य की कन्या” और “जीवन की संवाहक” बताया गया है।
ताप्ती माता के अन्य नाम
ताप्ती माता को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है:
- तापी माता
- तापी देवी
- सूर्यपुत्री तापी
- नदी देवी ताप्ती
सभी नामों का अर्थ एक ही है — शक्ति, शुद्धता और शीतलता का संगम।
निष्कर्ष
ताप्ती माता Tapti Mata केवल एक नदी देवी नहीं, बल्कि जीवन, ऊर्जा, और शांति की प्रतीक हैं। उनका नाम लेते ही मन में एक ठंडक और सकारात्मकता का भाव आता है। वह हमें यह सिखाती हैं कि जैसे नदी निरंतर बहती रहती है, वैसे ही जीवन में भी निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
जो भी व्यक्ति श्रद्धा और आस्था से ताप्ती माता की पूजा करता है, उसके जीवन में प्रकाश, सुख और शांति आती है। उनकी उपासना से न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी मिलता है।
संक्षेप में ताप्ती माता की विशेषताएँ:
| क्रमांक | विषय | विवरण |
|---|---|---|
| 1 | जन्म | सूर्य देव और छाया देवी की पुत्री |
| 2 | भाई-बहन | शनि देव, यमराज, यमुना |
| 3 | उद्गम स्थान | सतपुड़ा पर्वत, बैतूल (मध्य प्रदेश) |
| 4 | पूजा दिवस | रविवार और मंगलवार |
| 5 | मंत्र | ॐ ह्रीं ताप्त्यै नमः |
| 6 | प्रसिद्ध मंदिर | सूरत (गुजरात), बैतूल (म.प्र.) |
| 7 | विशेष पर्व | ताप्ती अमावस्या |
| 8 | प्रमुख लाभ | शांति, समृद्धि, पाप मुक्ति |
जय ताप्ती माता की जय!
